अमृत ध्वनि छन्द
मात्रा भार..24
जिसको प्रिय श्री राम हैं, वह है वास सुगंध।
दीन-हीन को अनवरत,देता रहता कंध।।
सुमिरन करता, रटता रहता, रामेश्वर को।
घूम घूम कर, चूमा करता,दीनेश्वर को।
हाथ मिलाता,काम चलाता, दीन मनुज का। भाई बनता,साथी लगता,सदा अनुज का।
धारण कर प्रभु राम को, य़ह है धर्म महान।
उनके क़दमों पर चलो, बन जा सभ्य सुजान।
राम वृत्ति है, शिव संस्कृति है, उच्च आचरण।
त्याग तपोमय,सदा धर्ममय ,शुद्ध आवरण ।
राम भाव है,मधु स्वभाव है,संकटहारी।
राम नाम है अमर धाम है, अजिर विहारी।
Gunjan Kamal
15-Nov-2022 06:01 PM
शानदार
Reply
Asif
09-Nov-2022 06:10 PM
Nice
Reply
Muskan khan
09-Nov-2022 05:39 PM
Wonderful
Reply